एक बुजुर्ग दंपति अकेले रहते थे उनकी कोई संतान नही थी।
वे दोनों एक दूसरे का बहुत ख्याल रखते थे और खुश रहते थे लेकिन एक दिन बुढ़े दादा जी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई....
दादी दादा जी को याद करके रोती थी और उदास भी रहती थी क्योंकि वे दोनों एक दूसरे का सहारा थे और एक दूसरे से प्रेम भी करते थे।
दादी जी को आस पड़ोस के लोग ढांढस बँधाते थे लेकिन दादी जी के आंसू रुक नही पा रहे थे।
एक दिन वह रात को सोईं और उन्होंने सपना देखा कि स्वर्ग में उनकी उम्र के बहुत सारे लोग हैं.... और सारे के सारे बहुत खुश हैं लेकिन दादी जी ने ध्यान दिया कि प्रत्येक व्यक्ति खूबसूत ड्रेस में हैं और उनके हाथों में एक जलती हुई मोमबत्ती है।
लेकिन उनके पति के हाथ में मोमबत्ती तो है लेकिन वह जल नही रही है...
दादी जी ने दादा जी से पूछा -: "सभी लोगों की मोमबत्ती जल रही है लेकिन आपकी मोमबत्ती क्यों नही जल रही है...!!"
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दादा जी ने प्यारा सा उत्तर दिया और कहा -: "जब मै अपनी मोमबत्ती जलाता हूँ तो तुम्हारे आंसू उस पर गिर जाते हैं और वह बुझ जाती है , अगर तुम मुझसे प्रेम करती हो .... तो रोना छोड़ दो और खुश रहो...देखो तुम रोओगी तो मैं भी दुखी रहूँगा और अगर तुम खुश रहोगी तो मैं भी निश्चिंत रहूँगा.....।"
उस सपने के बाद दादी दादा को याद करके थोड़ा उदास जरूर हो जाती थीं लेकिन अब रोती नहीं हैं।